“70 वर्षीय लीलाबाई पिपरिया के साथ अपने ही बेटों ने की धोखाधड़ी – एक माँ की न्याय के लिए गुहार!”
मुंबई, 24 अक्टूबर 2025 :
मुलुंड (पूर्व) की रहने वाली 70 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक श्रीमती लीलाबाई नारायण पिपरिया अपने ही बेटों और बहुओं की धोखाधड़ी, अत्याचार और मानसिक उत्पीड़न की शिकार बनी हुई हैं।
अपने जीवन की सारी पूँजी और मेहनत से घर और दुकानें खरीदने वाली यह माँ, आज न्याय की गुहार लगा रही है।
1994 में पति के निधन के बाद लीलाबाई ने अकेले ही अपने छह बच्चों को पाला-पोसा, पढ़ाया-लिखाया और खड़ा किया। उन्होंने ईमानदारी और कड़ी मेहनत से दो घर और दो दुकानें खरीदीं। मगर आज वही बेटे - अशोक नारायण पिपरिया और किशोर नारायण पिपरिया, तथा उनकी पत्नियाँ आशा और सीमा, उन्हें उनकी ही संपत्ति से बेदखल करने की साजिश कर दी।
यह सब विश्वासघात, धोखाधड़ी,
बनावट दस्तावेज़ तैयार करने और वरिष्ठ नागरिक अत्याचार अधिनियम 2007 के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
लीलाबाई ने इस पूरे मामले की शिकायत नवघर पुलिस स्टेशन, मुलुंड, एसीपी, डीसीपी,
मुंबई पुलिस आयुक्त,
तथा मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को दी है।
उन्होंने मांग की है कि —
- बेटों और बहुओं पर IPC 406, 420, 468,
471, 500 और वरिष्ठ नागरिक संरक्षण अधिनियम 2007
के तहत केस दर्ज किया जाए।
- उन्हें पुलिस सुरक्षा दी जाए।
पूरे इलाके में इस घटना को लेकर गुस्सा और संवेदना है। लोग कह रहे हैं —
“एक माँ को इंसाफ मिलना चाहिए, और जिन्होंने उसके साथ अन्याय किया है उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए!”
🔹 समाज के लिए संदेश (सीख / समाधान):
यह कहानी सिर्फ एक माँ की नहीं है —
यह उन सभी माता-पिता की है जो उम्र के अंतिम पड़ाव में अपने ही बच्चों से अपमान झेलते हैं।
👉 हर माता-पिता को संपत्ति बाँटते समय कानूनी दस्तावेज़ पक्के करने चाहिए।
👉
बच्चों द्वारा माता-पिता से धोखा या उत्पीड़न करना सिर्फ नैतिक नहीं, बल्कि कानूनी अपराध है।
👉
शासन और समाज को ऐसे मामलों में त्वरित हस्तक्षेप और न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।
👉
और सबसे जरूरी — माँ-बाप का आशीर्वाद ही सबसे बड़ी संपत्ति है, ज़मीन-जायदाद नहीं।
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